पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री हरि विष्णु ने तुलसी को यह वरदान दिया कि मैं केवल तुम्हारे द्वारा सुशोभित भोग को ही ग्रहण करूंगा। इसीलिए जिस भोग में तुलसी दल अपत किया जाता है, नारायण भगवान केवल उसी भोग को ग्रहण करते हैं। ठीक उसी प्रकार जिस विष्णु भक्त के कंठ में तुलसी कंठी माला धारण की होती है, भगवान उस मनुष्य को सहजता व सुगमता से स्वीकार करते हैं। अपनी शरण में लेते हैं तथा अंतत: अपने लोक में सुंदर स्थान प्रदान करते हैं। तुलसी विहीन भोजन व तुलसी विहीन मनुष्य का भगवान विष्णु त्याग कर देते हैं।…